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क्या सत्ताधारी पार्टी के नसीब में लिखा है फजीहत का पुलंदा ढोना

 

पीलीभीत में भाजपा की जमकर हो रही फजीहत, न नेता खुश न कार्यकर्ताओं को सम्मान


यूं तो सत्ताधारी पार्टी सदैव रुतबे में रहती है परंतु पीलीभीत में इस समय सत्ताधारी पार्टी के दुर्दिन चल रहे हैं। कदम कदम पर पार्टी को फजीहत झेलनी पड़ रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं केंद्र और प्रदेश में सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की। आप सबको पता है कि अभी कुछ दिन पहले ही नहर पर भाजपा के जिला मंत्री के साथ मारपीट हुई थी। पहले तो पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, जब भाजपाई सख्त हुए तो दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया परंतु बाद में पार्टी को हालात से समझौता करना पड़ा। 

....खैर यहां तो कुछ गलती भी थी नेता जी की

खैर यह मामला इसलिए निपटाना जरूरी था कि इस में सड़क पर भाजपा नेता ने ही पहले रिवाल्वर लहरा कर अशांति का माहौल पैदा किया था, लेकिन जो दूसरे मामले में पार्टी की फजीहत हो रही है उसमें भाजपाई कहीं से भी दोषी नहीं है।

सेहरामऊ में पुलिस ने रोकी गांधी संकल्प यात्रा

 यह ताजा मामला सेहरामऊ थाना के सामने का है, जहां भाजपा नेताओं को पुलिस ने तब रोक दिया जब वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में पदयात्रा निकालते हुए जा रहे थे। थाने के गेट पर नारेबाजी कर रहे भाजपाइयों को पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर ने थाना प्रभारी के आदेश पर रोक दिया और उन से परमिशन मांगने लगे। परमिशन ना होने पर अभद्र व्यवहार करने का भी आरोप है। 

भाजपा जिलाध्यक्ष से दरोगा ने नहीं कि बात, कार्यकर्ताओं से की अभद्रता

इतना सब तो ठीक था लेकिन  थाने के दरोगा ने भारतीय जनता पार्टी केेे जिला अध्यक्ष से बात तक नहीं की और भाजपाइयों की काफी किरकिरी कर दी। इस मामले में पार्टी हाईकमान तक शिकायत हुई है। अब देखना है कि पीलीभीत में सत्ताधारी पार्टी कब तक यूं ही फजीहत झेलती रहेगी। लोगों का कहना है कि दूसरी सरकारों में इससे अच्छा हाल तो विरोधी पार्टियों का होता था जो हाल इस समय सत्ताधारी पार्टी का हो रहा है।

 नेता ही नहीं कार्यकर्ता भी हैं निराश और परेशान

यह सब हाल तो आप लोग नेताओं का देख रहे हैं अब आम कार्यकर्ता का क्या हाल होगा इसकी कल्पना आप स्वयं कर सकते हैं। थाने तहसील में बिना लिए दिए कोई काम नहीं होता। पुलिस या अन्य कोई महकमा भाजपाई बताने पर सीधे मुंह बात तक नहीं करते हैं और उनके वे काम भी नहीं हो पाते जिन्हें आसानी से होना चाहिए। ऐसे में अगले चुनाव तक पार्टी के पास कितने कार्यकर्ता रह जाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। क्योंकि अपमान कोई नहीं भुला पाता, सम्मान भले ही भूल जाएं।

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 आप लोग अपनी प्रतिक्रिया 9411978000 पर भेज सकते हैं। ध्यान रहे इस लेख का उद्देश्य किसी के मान सम्मान को कम करना या उकसाना नहीं है बल्कि सच्चाई रूपी आइना दिखाना है जोकि हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है।

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